युवाओं की ढलती जवानी बिलखते सपने

गांवो की लगभग पूरी की पूरी युवा आबादी, घोर पागलपंथी की गिरफ्त में है। पढ़ाई -लिखाई से नाता टूट चुका है। देश-दुनिया की कुल समझ व्हाट्सएप से बनी है। वहां पाकिस्तान माफ़ी मांगता है और चीन थरथर कांपता है।, कोंग्रेस ऐसी बीजेपी ऐसी इन सब उलझन से बाहर निकलने तक का प्रयास नहीं करते l दहेज में बाइक मिली है, भले ही तेल महंगा हैं, सरसों-गेंहू बेच, एक लीटर भरा ही लेते हैं और गांव में एक बार तो फड़फड़ा लेते ही है। चुनावी+पाखंडी माफिया उनका इस्तेमाल करते हैं। उन्हें आखेट कर किसी न किसी धार्मिक सेनाओं या अपने गुटों के पदाधिकारी बना कर, अपनी गिरफ्त में रखते हैं। हमारे आसपास भी ऐसा टोला है वहां से शोशल मीडिया पर अक्सर कुछ युवाओं के फ्रेंड रिक्वेस्ट आते हैं। उनकी हिस्ट्री देखिए तो सिर पर रंगीन कपड़ा बांधे , जयकारा लगाते, गुटों में फ़ोटोशूट, दूसरे की बोलेरो पर केक काटते हुए फोटो मिलेगी। यह है नई पीढ़ी! इसी पर है देश का भविष्य। एक बीमार समाज,ऐसी पीढ़ी अपने बच्चों को कहां ले जा रही?जमीन-जायदाद इतनी नहीं कि ठीक से घर चला सकें और वैसे जमीन ज्यादाद को करने के लिए पानी भी नही रहा जो बीमारी का ईलाज हो सके। तो इनके लिए बेहतर जीवन क्या है? ये पीढियां अब उबरने वाली नहीं। दास बनने को अभिशप्त हैं ये। इनको।डांटने वाला व्यक्ति सबसे ज्यादा बुरा लगता हैं ।घमण्ड इतना कि IAS , PCS PSU तो उनकी जेब में होते हैं। एक अपाहिज बाप के जवान बेटे को दिनभर चिलम और नशा करते देख कर कोई टोक भी दे तो उसकी मां बोलती हैं कि हमारा बेटा कुछ भी करें तुम्हारे घर का क्या खाता है
अब ऐसे मर रहे समाज में जान फूंकना आसान काम नहीं है? शिक्षा बिन, बातों का असर नहीं हो सकता। अब सवाल उठता है कि जिस समाज को सचेतन ढंग से बर्बाद किया गया हो, शिक्षा से वंचित किया गया हो तो यह सचेतन गुलाम बनाने का कृत्य है। यह अमानवीय भी है और शातिराना भी। गुलाम बाहुल्य समाज, दुनियाभर में निम्न ही रहेगा, बेशक कुछ की कुंठाएं तृप्त हों। फिलहाल ये उबरने से रहे,,, और जब तक तुम whatsapp ज्ञान जैसी बातों को शेयर करना नहीं छोड़ देते तब तक तुम कुछ नया नहीं कर सकते

धन्यवाद ।।

✍️~Ds घुणावत~